New 100 Rupee Coin – भारत में सिक्कों का इतिहास बेहद पुराना और रोचक है। हाल ही में 100 रुपये का नया सिक्का लॉन्च किया गया है, जिसने लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा है। आमतौर पर हम ₹1, ₹2, ₹5 और ₹10 के सिक्कों से परिचित हैं, लेकिन समय-समय पर सरकार ने स्मारक और विशेष अवसरों पर बड़े मूल्यवर्ग के सिक्के भी जारी किए हैं। ये सिक्के सामान्य लेन-देन में नहीं बल्कि अधिकतर कलेक्शन या स्मृति के तौर पर जारी किए जाते हैं। 100 रुपये का सिक्का भी इसी श्रेणी में आता है और इसे ऐतिहासिक घटनाओं, महान व्यक्तित्वों या विशेष उपलब्धियों को समर्पित किया जाता है। भारत में अब तक ₹1,000 तक के सिक्के जारी हो चुके हैं, जो जानकर बहुत से लोग हैरान रह जाते हैं। ये सिक्के आम चलन में नहीं आते, लेकिन भारतीय सिक्का संग्रह और ऐतिहासिक धरोहर का हिस्सा जरूर बनते हैं। इस वजह से 100 रुपये का सिक्का आम जनता के बीच चर्चा का विषय बन गया है।

भारत में सिक्कों का विकास और परंपरा
भारत में सिक्कों की शुरुआत प्राचीन काल से हुई, जब पंचमार्क्ड सिक्कों का चलन था। समय के साथ विभिन्न साम्राज्यों और राजाओं ने अपने-अपने सिक्के बनाए। आज़ादी के बाद भारतीय रिजर्व बैंक और भारत सरकार ने सिक्कों की छपाई और ढलाई की जिम्मेदारी संभाली। 1947 के बाद से लगातार नए मूल्यवर्ग और डिज़ाइन वाले सिक्के जारी किए गए, जिनमें धातु और आकार में भी बदलाव होता रहा। ₹1 से लेकर ₹10 तक के सिक्के आम लेन-देन में प्रयोग होते हैं, लेकिन बड़े मूल्यवर्ग के सिक्के जैसे ₹20, ₹50, ₹75, ₹100 और यहां तक कि ₹1,000 तक स्मारक रूप में जारी किए गए। इन सिक्कों का उद्देश्य केवल लेन-देन नहीं बल्कि ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रीय महत्व को दर्शाना होता है। यही कारण है कि संग्रहकर्ताओं के बीच इन सिक्कों की मांग हमेशा बनी रहती है।
स्मारक सिक्कों का महत्व और आकर्षण
स्मारक सिक्कों को खास मौकों पर जारी किया जाता है। उदाहरण के लिए, महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर ₹150 का सिक्का जारी किया गया था, वहीं अटल बिहारी वाजपेयी की स्मृति में ₹100 का सिक्का ढाला गया। इसके अलावा भारत के विभिन्न वैज्ञानिक, साहित्यकार और ऐतिहासिक घटनाओं को सम्मानित करने के लिए भी बड़े मूल्यवर्ग के सिक्के बाजार में लाए जाते हैं। इन सिक्कों की खासियत यह होती है कि ये सीमित संख्या में उपलब्ध होते हैं और सामान्य लेन-देन के बजाय अधिकतर शौकिया संग्रह का हिस्सा बनते हैं। ₹100 का सिक्का भी इसी परंपरा का हिस्सा है, जिसे एक ऐतिहासिक और कीमती धरोहर के रूप में देखा जाता है। ऐसे सिक्के समय के साथ दुर्लभ हो जाते हैं और उनकी वैल्यू बाजार में और भी बढ़ जाती है।
अब तक जारी हुए बड़े मूल्यवर्ग के सिक्के
भारत सरकार ने अब तक कई उच्च मूल्यवर्ग के सिक्के जारी किए हैं। इसमें ₹20, ₹50, ₹75, ₹100, ₹125, ₹150, ₹200 और यहां तक कि ₹1,000 तक के सिक्के शामिल हैं। इन सिक्कों को आमतौर पर चांदी या अन्य मिश्रधातुओं से बनाया जाता है और ये विशेष अवसरों पर ही उपलब्ध कराए जाते हैं। ₹1,000 का सिक्का सबसे उच्च मूल्यवर्ग का सिक्का है, जो आज तक जारी हुआ है। हालांकि यह सामान्य जनता के लेन-देन में इस्तेमाल नहीं होता, लेकिन यह भारत की मुद्रा प्रणाली का महत्वपूर्ण हिस्सा है। संग्रहकर्ताओं के लिए ये सिक्के किसी खजाने से कम नहीं होते।
100 रुपये के सिक्के की खासियत
हाल ही में जारी किए गए 100 रुपये के सिक्के की बनावट और डिज़ाइन भी बेहद खास है। इसमें राष्ट्रीय प्रतीक, ऐतिहासिक चिन्ह और अवसर विशेष का संदर्भ शामिल होता है। यह सिक्का साधारण धातु से नहीं, बल्कि उच्च गुणवत्ता वाली धातु से तैयार किया जाता है, ताकि लंबे समय तक इसकी चमक और पहचान बनी रहे। 100 रुपये का सिक्का भारतीय मुद्रा प्रणाली के इतिहास में एक अहम स्थान रखता है क्योंकि यह न केवल मुद्रा का प्रतीक है बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर को भी प्रदर्शित करता है। यही वजह है कि लोग इसे संभालकर रखते हैं और कई लोग इसे निवेश व संग्रह का माध्यम मानते हैं।