OPS की वापसी पर बवाल — महाराष्ट्र में फिर गूंजा पुरानी पेंशन का तूफान, कई राज्यों में लागू, अब यहां भी तैयारी तेज़

New Old Pension – महाराष्ट्र में पुरानी पेंशन स्कीम (OPS) की वापसी को लेकर हाल ही में जबरदस्त बवाल मचा हुआ है। देश के कई राज्यों ने पहले ही अपने कर्मचारियों के लिए OPS लागू कर दी है, और अब महाराष्ट्र में भी इसको लेकर मांग तेज हो गई है। सरकारी कर्मचारियों का कहना है कि नई पेंशन स्कीम (NPS) से उन्हें रिटायरमेंट के बाद सुरक्षा नहीं मिल पा रही, जबकि OPS में पेंशन जीवनभर की गारंटी देती है। इसी वजह से लगातार प्रदर्शन, रैलियां और धरने हो रहे हैं। महाराष्ट्र सरकार पर दबाव बढ़ता जा रहा है कि वह OPS को लागू करे। विपक्षी पार्टियां भी इस मुद्दे को बड़े राजनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही हैं। यह विवाद अब सिर्फ एक पेंशन स्कीम का नहीं बल्कि लाखों कर्मचारियों की भविष्य की सुरक्षा और राजनीति का बड़ा विषय बन चुका है।

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महाराष्ट्र में OPS को लेकर बढ़ता दबाव

महाराष्ट्र के अलग-अलग जिलों में सरकारी कर्मचारियों ने OPS की वापसी के लिए प्रदर्शन तेज कर दिए हैं। शिक्षक, स्वास्थ्यकर्मी, पुलिसकर्मी और अन्य विभागों के कर्मचारी एकजुट होकर सरकार पर दबाव बना रहे हैं। उनका तर्क है कि OPS से उन्हें रिटायरमेंट के बाद निश्चित पेंशन मिलेगी, जिससे उनका भविष्य सुरक्षित रहेगा। NPS के अंतर्गत बाजार पर आधारित निवेश योजना है, जिसमें पेंशन की कोई निश्चित गारंटी नहीं होती। यही वजह है कि OPS को लेकर भावनाएं जुड़ी हुई हैं और कर्मचारियों में आक्रोश लगातार बढ़ता जा रहा है। यदि महाराष्ट्र सरकार इस पर जल्द फैसला नहीं करती, तो विरोध और उग्र हो सकता है।

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अन्य राज्यों में OPS लागू, महाराष्ट्र पर नजरें

राजस्थान, छत्तीसगढ़, पंजाब, झारखंड और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों ने OPS को लागू कर दिया है। इससे कर्मचारियों में उम्मीद जगी है कि महाराष्ट्र भी जल्द ही इस दिशा में कदम उठाएगा। अन्य राज्यों में OPS लागू होने से विपक्षी दल अब महाराष्ट्र सरकार को घेर रहे हैं। उनका कहना है कि जब बाकी राज्य अपने कर्मचारियों का भविष्य सुरक्षित कर सकते हैं तो महाराष्ट्र सरकार क्यों पीछे है? इससे राज्य की राजनीति में OPS का मुद्दा सबसे गर्म विषय बन चुका है। कर्मचारी संगठनों का मानना है कि OPS लागू होने से लाखों परिवारों को जीवनभर आर्थिक स्थिरता मिलेगी।

OPS पर केंद्र सरकार और राज्यों का टकराव

OPS को लेकर केंद्र सरकार और कई राज्य सरकारों के बीच भी मतभेद देखने को मिल रहे हैं। केंद्र सरकार का मानना है कि OPS से सरकारी खजाने पर भारी बोझ पड़ेगा और यह लंबे समय में आर्थिक संकट ला सकता है। वहीं, राज्य सरकारें कर्मचारियों की नाराजगी को देखते हुए OPS लागू करने पर मजबूर हो रही हैं। इस टकराव का असर सीधे-सीधे चुनावी राजनीति पर भी पड़ रहा है। कर्मचारी वर्ग एक बड़ा वोट बैंक है और उनकी नाराजगी किसी भी सरकार के लिए नुकसानदायक साबित हो सकती है। यही कारण है कि OPS आज एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गया है।

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महाराष्ट्र की तैयारी और भविष्य की संभावना

सूत्रों के अनुसार, महाराष्ट्र सरकार भी OPS को लागू करने की संभावनाओं पर गंभीरता से विचार कर रही है। हालांकि अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन हाल के दिनों में मंत्रियों और अधिकारियों की बैठकों में इस पर चर्चा हुई है। यदि OPS लागू होता है तो यह राज्य के लाखों कर्मचारियों और उनके परिवारों के लिए बड़ी राहत होगी। लेकिन साथ ही यह राज्य की वित्तीय स्थिति पर भी असर डालेगा। आने वाले महीनों में इस पर बड़ा फैसला लिया जा सकता है, जो न केवल कर्मचारियों बल्कि पूरे राज्य की राजनीति और अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा।

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